वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन, माता, मनोबल, यात्रा, धन, मानसिक स्थिति, जल आदि का कारक है। यदि चंद्रमा के साथ कोई भी ग्रह आ जाता है तो उस ग्रह का कारकत्व चंद्रमा के अनुसार बढ़ता या घटता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है, उसे माता का सुख मिलता है, मानसिक स्थिति मजबूत होती है, कल्पना शक्ति प्रबल होती है, व्यक्ति के व्यवसाय में वृद्धि होती है और व्यक्ति को यात्रा से लाभ मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा पीड़ित होता है उन्हें मातृ सुख में कमी, याददाश्त कमजोर होना, सिरदर्द, तनाव, रक्त संबंधी विकार, व्यापार में हानि, अनावश्यक निर्णयों के कारण धन की हानि आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को चंद्र ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहिए या दूसरों को जाप कराना चाहिए।
मंत्र जाप की संख्या 11,000 होनी चाहिए। जप के बाद पलाश की लकड़ी, घी और समिधा से दशांश हवन करना चाहिए।
ॐ सौं सोमाय नमः।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्ज्यायेन्दस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्यैपुत्रमस्यै व्विशऽएष वोेऽमी राजा सोमोेस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम् । नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ अत्रिपुत्रायविùहे सागरो˜वाय धीमहि तन्नश्चंद्रः प्रचोदयात्।