मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का गुणगान करने वाली कथा भक्तों के जीवन की रक्षा का अत्यंत सरल साधन है। मानव जीवन के किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने के लिए रामचरित मानस की विभिन्न चौपाइयों से संपुटित कर अखंड रामायण प्रस्तुत करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
यदि रामचरित मानस का पाठ विधि-विधान और सात्विक रीति से न किया जाए तो शुभ फल प्राप्त नहीं होता है, इसलिए अखंड रामायण का पाठ किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण से ही कराना चाहिए और स्वयं भी इसका पाठ करना चाहिए।
महाकवि वाल्मिकी द्वारा रचित वाल्मिकी रामायण का पाठ करने से अनंत पुण्य फल मिलता है। विभिन्न कामनाओं को मन में रखकर पाठ करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए बालकांड, देवी लक्ष्मी की कामना के लिए अयोध्या कांड, नष्ट हुई संपत्ति वापस पाने के लिए किष्किंधा कांड, सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सुंदरकांड और शत्रु नाश की कामना के लिए लंका कांड का पाठ योग्य ब्राह्मणों द्वारा करना चाहिए।