वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि को न्याय, रोग, पीड़ा, तकनीक, नौकर, आयु, जेल आदि का कारक माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि मजबूत होता है वह मेहनती, न्यायप्रिय और साहसी होता है। ऐसे लोग अपने जीवन में किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करते हैं। उच्च का शनि व्यक्ति को दीर्घायु देता है और जीवन में स्थिरता लाता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ या कमजोर होता है उनके जीवन में काफी परेशानियां आती हैं। व्यक्ति को बार-बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है तथा जेल तक जाकर कष्ट सहना पड़ता है। जातक जोड़ों के दर्द, अस्थमा, त्वचा रोग आदि रोगों से पीड़ित रहता है। व्यापार आदि में हानि उठानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में जातक को शनि ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहिए या दूसरों से जाप कराना चाहिए।
मंत्र जाप की संख्या 23,000 होनी चाहिए। जप के बाद शमी की लकड़ी, घी और समिधा से दशांश हवन करना चाहिए।
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
ॐ शं नो देवीरभिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शं योरभिस्रवन्तु नः।
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।।
ॐ कृण्णंत्रांगायविùहे रविपुत्राय धीमहि तन्नः सौरिः प्रचोदयात्।