वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य सभी ग्रहों का राजा है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य को मान-सम्मान, उच्च पद, आत्मा, सरकारी सेवा, धन, पिता, आंखें आदि का कारक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो तो उसे ये सभी चीजें आसानी से मिल जाती हैं। . सिंह राशि का स्वामी सूर्य है और यह मेष राशि में उच्च का तथा तुला राशि में नीच का होता है। अन्य ग्रह सूर्य के निकट आने पर अस्त हो जाते हैं। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ हो, शुभ होकर कमजोर हो या जातक के जीवन में पैतृक सुख की कमी हो, मान-सम्मान नहीं मिलता हो, नौकरी मिलने में बाधाएं आदि आती हों। आंखों में परेशानी, सिरदर्द रहता है। यदि कोई समस्या है या हर जगह उचित सम्मान नहीं मिल रहा है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सूर्य ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहिए या दूसरों से जाप कराना चाहिए।
मंत्र जाप की संख्या 7,000 होनी चाहिए। जप के बाद अर्क की लकड़ी, घी और समिधा से दशांश हवन करना चाहिए।
ऊँ घृणि सूर्याय नमः।
ऊँ ह्राँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च । हिरण्ययेन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन् ।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम । तमोेरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोेस्मि दिवाकरम् ।।
ऊँ आदित्याय विùहे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।