वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति संतान, शिक्षा, धर्म, धन, दान, गुण, वृद्धि, ज्ञान आदि के लिए उत्तरदायी होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में होता है वह जीवन में प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है। ऐसे व्यक्ति धार्मिक स्वभाव के होते हैं। इनके जीवन में शिक्षा और धन की कोई कमी नहीं होती है। ऐसे लोगों को अच्छी संतान का सुख मिलता है और व्यक्ति समाज में अग्रणी बनता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में बृहस्पति अशुभ स्थिति में होता है या कमजोर होता है उन लोगों के जीवन में खुशियों की कमी रहती है। शिक्षा में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। व्यक्ति के जीवन में प्रगति रुक जाती है, विवाह, नौकरी आदि में बाधा उत्पन्न होती है, संतान सुख का अभाव रहता है। जातक वायु से सम्बंधित रोगों से पीड़ित रहता है। व्यक्ति पीलिया आदि रोगों से पीड़ित रहता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बृहस्पति के मंत्र का जाप करना चाहिए या दूसरों से जाप कराना चाहिए।
मंत्र जाप की संख्या 19,000 होनी चाहिए। जप के बाद पीपल की लकड़ी, घी और समिधा से दशांश हवन करना चाहिए।
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
ॐ बृहस्पतेऽअतियदर्योऽअर्हाद्द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवसऽऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणन्धेहि चित्रम्।।
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं।।
ॐ अंगिरोजातायविùहे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात्।