विद्या की अधिष्ठात्री देवी देवी सरस्वती हैं जो मन और बुद्धि को प्रभावित करती हैं और मानव जीवन के बौद्धिक विकास में मदद करती हैं। मां सरस्वती को वाणी की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है। मां सरस्वती को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। सनातन धर्म के अनुसार ज्ञान की देवी सरस्वती का प्राकट्य माघ शुक्ल पंचमी को हुआ था, जिस तिथि को आज भी शिक्षण संस्थानों में वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। सरस्वती जी की वीणा से स्वर उत्पन्न हुए, इसीलिए उन्हें वीणावादिनी भी कहा जाता है। हमारे जीवन में मां सरस्वती की विशेष कृपा की सदैव आवश्यकता रहती है।
माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए सरस्वती मंत्र ॐ ह्रीं सरस्वत्यै नमः अथवा ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः अथवा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्रौं स्रीं सरस्वत्यै नमः इस मंत्र का 125000 जप योग्य ब्राह्मणों द्वारा कराना चाहिए।