वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु एक छाया ग्रह है। राहु ग्रह को वाणी, यात्रा, चोरी, बुरे काम, जुआ, त्वचा रोग आदि का कारक माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु शुभ स्थिति में होता है उसका दिमाग तेज होता है और वह अपनी वाणी से चतुर होता है। ऐसे लोग समाज में अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान बनाए रखते हैं। ऐसे व्यक्ति का जीवन चमकने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति धर्म-कर्म से जुड़ा रहता है। जिन लोगों की कुंडली में राहु अशुभ या कमजोर स्थिति में होता है, ऐसे लोग गलत संगत में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में धोखा मिलता है। ऐसे लोग क्रोधित होकर दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। राहु ग्रह से पीड़ित लोग मांस, शराब आदि का सेवन करके सब कुछ नष्ट कर देते हैं। जातक आंतों के रोग, वायु विकार, पागलपन आदि से पीड़ित रहते हैं। ऐसी स्थिति में जातक को राहु ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहिए या दूसरों को जाप कराना चाहिए।
मंत्र जाप की संख्या 18,000 होनी चाहिए। जप के बाद दूर्वा की लकड़ी, घी और समिधा से दशांश हवन करना चाहिए।
ॐ रां राहवे नमः
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
ॐ कया नश्चित्रऽआभुवदूती सदावृधः सखा। कया शचिष्ठया व्वृता।
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं। सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यह।।
ॐ नीलवर्णायविùहे सैहिकेयाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्।