वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह शक्ति, साहस, शौर्य, पराक्रम, ऊर्जा, भूमि, भाईचारा आदि का कारक है। यदि जातक की कुंडली में मंगल अच्छी स्थिति में हो तो जातक को भूमि आदि से संबंधित कार्यों में आसानी से सफलता मिल जाती है। .व्यक्ति निडर, साहसी एवं झगड़ालू स्वभाव का होता है। यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो या कमजोर हो तो जातक को जीवन में तमाम तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जातक शत्रुओं से घिरा रहता है, भूमि विवाद, कर्ज आदि से पीड़ित रहता है। जातक रक्त विकार, त्वचा रोग, रक्तचाप, बुखार, अल्सर, ट्यूमर आदि से पीड़ित रहता है। ऐसी स्थिति में जातक को मंगल ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहिए या दूसरों को जाप कराना चाहिए।
मंत्र जाप की संख्या 10,000 होनी चाहिए। जप के बाद खैर की लकड़ी, घी और समिधा से दशांश हवन करना चाहिए।
ॐ अं अंगारकाय नमः।
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
ॐ अग्निर्मूर्द्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्याऽअयम्। अपां ग्वं रेतां ग्वं सि जिन्न्वति।। भौम गायत्री मंत्र - ॐ क्षितिपुत्रायविùहे लोहितांगाय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं। कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यह।।